Thursday, December 26, 2013

Where is the Mother of these Childs

 हर रोज की तरह आज सुबह मै काँलेज को जा रहा था। मै हमेशा कही पे भी जाऊ तो हमेशा कुछ जल्दीही जाता हूं। इस कारण हर रोज कि तरह आज भी मै यहा- वहा देखते और सृष्टी का पुरा आनंद उठाकर रास्ते से जा रहा था। वैसे भी अभी काँलेज के सारे बच्चोने रोजाना काँलेज मे आना अभी तक चालु नहि किया है इसलिये मुझे कोइ जल्दि नहि थी।
मेरे काँलेज के नजदिक का लगभक 1 किमी का रोड हरेभरे खेतो से गुजरता हुआ जाता है। सच कहु तो यहा से गुजरते हि मन खुश हो जाता है। हा तो मै यह बताने वाला था कि आज वहा से गुजरते वक्त मुझे अचानक से हि कुछ अजीबसी आवाजे सुनाई देने लगी। मै रास्ते से आवाजो कि तरफ बढ रहा था लेकिन समज नही आ रहा था। मुझे अब थोडा ङर लगने लगा था क्योकी आवाजे पहचान कि नही लग रही थी।
तब मै और आगे बढा तो पाया कि वहा तो 2 बहुत छोटेसे बील्ली के बच्चे चित्रविचित्र आवाजो से अपनी माँ को बुला रहे थे, लेकिन पता नही वो कहा पे थी। शायद किसी आदमी ने उस के घर मे जन्मे बील्ली के बच्चो को घर से दुर यहा खेतो मे छोङ दिया था। जब मै बच्चो के पास पहुंचा तो देखा कि वहा पर तो और 2 बच्चे है। यानी अब कूल मीला के 4 बच्चे हो गये।

 
 
जैसे हि मै उनके करीब पहुचा तो दंग रह गया क्यो कि बच्चो को लगा कि मै उनकि माँ हु और सारे बच्चे मेरे तरफ उछल पङे और मेरे पैरोमे घुस कर आराम से बैठ गये। पहले तो मै क्या करू वो समज नही आया और मैने उनको भगाने के लिये शुक-शुक ऐसी आवाज निकाली तो एक बच्चा बहुत डर गया और फसल मे जा छिपा। अब रह गये तीन। ये बङे ही धीट थे और मेरा पीछा छोड नही रहे थे।
 
 
मुझे उन पर बहुत दया रही थी, लेकिन करता भी क्या। ये चारो को घर भी नही लेजा सकता था। अगर घर ले जाता तो मेरे घरवाले तो दंग हि रह जाते। फिर मुझे लगा की उनको उनके जीवन की लढाई खुद हि लडनी होगी। अब मै वहा पर और ज्यादा रूक नही सकता था झसलिये चल पडा लेकिन ये बच्चे अब मेरे पिछे ही आने लगे। शायद वो अब फिर से अपनी माँ को दोबारा नही खोना चाहते थे।
मुझे अब तो बहुत बुरा लगने लगा। सोचा अगर मुझे मेरी माँ से दुर कर दिया तो कैसा लगेगा। लेकिन शायद फिरसे माँ से बिछडना हि लिखा था बच्चो के नसीब मे।
मै वहा से नीकल पडा। बच्चो ने थोडी दूरी तक मेरा पीछा कीया लेकिन वे मेरी गती से नहि आपाये और वही रह गये।
बाद मे काँलेज के चक्कर मे मै सब भूल ही गया। फिर जब काँलज छुटा तो उसी रास्ते से घर जाने लगा तो मुझे बच्चो कि याद गयी। मै उनको ढुढ रहा था लेकिन वहा पे कोई भी नही था।
क्या उनको उनकी माँ वापस मील गयी? क्या उनको कोई उठा ले गया? क्या वो किसी को अपनी माँ समज के उसके पीछे चले गये? इत्यादी अनुत्तरीत प्रश्नो को मेरे मन मे लिये मै मेरे माँ के पास मेरे घर मे चला आया।

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