नमस्कार मेरे दोस्तों, मई महीना शुरू हो गया है और गर्मी जोरो शोरो से बढ़ रही है लेकिन एक बात है, मई महीने में ही सभी पाठशालाओं को छुट्टियां मिल जाती है. आपने भी इन छुट्टियों में किसी अद्भुत एवं खूबसूरत जगहों पर छुट्टियां बिताने की सोच रखी होगी. आज मैं मेरे मुंबई के सफर के बारे में कुछ रोचक बातें बताने वाला हूं. मुंबई मेरा पसंदीदा ट्रेवल डेस्टिनेशन है, आप सभी को तो पता ही है की मुंबई देश की इकोनॉमीकल राजधानी है. मुंबई शहर का विकास अंग्रेजो के शासन में हुआ. वैसे देखा जाए तो मुंबई सात छोटे-छोटे द्वीपों से बना हुआ एक शहर है. इसकी आबादी आज आसमान को छू रही है, लेकिन इसी आबादी वाले शहर में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं कि जो आप देखना पसंद करोगे. पिछले साल जब छुट्टियां थी तब मैं भी मेरे दोस्तों के साथ मुंबई देखने के लिए चल पड़ा था. मैं अब थोड़ा आपको मुंबई के बारे में बताना चाहता हूं. मुंबई भारत के महाराष्ट्र राज्य की राजधानी है और लगभग तीन से चार करोड़ लोक मुंबई में रहते हैं. अंग्रेज़ों के जमाने से ही मुंबई का बहुत विकास हुआ है और अंग्रेजों ने मुंबई में कई ऐसी जगह विकसित की है की जो आज पर्यटकों के लिए स्वर्ग का अनुभव देती है. वैसे देखा जाए तो मुंबई में एक से बढ़कर एक देखने की जगह है अगर सभी को इस लेख में साझा किया जाए तो पन्ने कम पड़ जाएंगे इतने सारे अद्भुत और देखने लायक डेस्टिनेशन से मुंबई भरा पड़ा है. इसलिए आज मैं मेरे मुंबई के सफ़र की कुछ खास बातें ही बताने वाला हूं जैसे कि एक है एलिफेंटा गुफ़ाएँ।
वैसे देखा जाए तो मेरी मुंबई की जर्नी 2 दिन की थी जिसमें हमें पूरी मुंबई घूम के देखनी थी लेकिन जब हम मुंबई पहुंचे तो पता चला एक-दो दिन में पूरी मुंबई देखना संभव ही नहीं है. हमने हमारी शुरुआत पुणे से की, हम चार मित्रों ने एक साथ मुंबई देखने का सोचा था इसलिए हम चारों ही मित्र एक दूसरे को सहायता करते हुए मुंबई जाने का प्लान बना रहे थे. हमारी जर्नी शुरू हुई पुणे के लोह गांव स्थित एयरपोर्ट से. हमने इससे पहले कभी भी हवाई जहाज में सफर नहीं किया था तो इसलिए हमारे ट्रैवल को और रोमांचकारी बनाने के लिए हमने पुणे से मुंबई को जाने वाली फ्लाइट पकड़ी। वैसे देखा जाए तो पुणे से मुंबई को जाने के लिए बहुत सारे हवाई जहाज उपलब्ध है और हवाई जहाज में सुविधा भी काफी अच्छी होती है. हवाई जहाजो का Flight Schedule काफी आरामदेह और अत्यंत सरल एवं उपयोगी है. हमारे हवाई जहाज ने जैसे ही टेक ऑफ़ किया तो सारे दोस्त खुशी से झूम उठे. लगभग 1 घंटे के अंदर हम मुंबई के हवाई अड्डे पर उतर गए उसके तुरंत बाद हम गेटवे ऑफ इंडिया की तरफ गए. गेट वे ऑफ इंडिया, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से बहुत नजदीक है. लगभग 20 मिनट चलने के बाद हम सभी दोस्त गेट वे ऑफ इंडिया तक पहुंचे। उसके बाद पानी से सफर शुरू हुआ, समुंदर बहुत ही सुंदर लग रहा था. हमने एक किराए के नौका पर बैठने का फैसला कि जो 50 रुपयों मे एलिफेंटा के किनारे तक छोड़ता था. वह पानी का सफर बड़ा ही अद्भुत एवं रोमांचकारी था लगभग 50 से 60 मिनट के बाद हम लोग दूसरे किनारे पर पहुंचे कि जहां पर एलिफेंटा की गुफाएं मौजूद थी.
एलिफेंटा गुफाओं को घारापुरी की गुफाएं भी कहते हैं. ये गुफाएं गेटवे ऑफ इंडिया से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कुल सात गुफाएं हैं कि जिस में प्राचीन भारत के देवी देवताओं का सुंदर वर्णन दिया हुआ है. यह गुफाएं पहाड़ को काटकर बनाई गई है और इनमें लगभग हर मूर्ति हिंदू धर्म के देवी-देवताओं से प्रेरित हुई है. इन सभी में से भगवान शंकर की त्रिमूर्ति सबसे आकर्षक है तथा बहुत ही प्रसिद्ध है. भारत सरकार के प्रयास से आज यह घारापुरी की गुफाएं विश्व में प्रसिद्ध हो गई है तथा यूनेस्को ने इन एलिफेंटा गुफाओं को विश्व धरोहर घोषित कर दिया है. आप जब भी मुंबई आए तो इन गुफाओं को देखना न भूलिएगा। इन गुफाओं को देखने के बाद हम सभी दोस्त हमारे अगले सफर की तरफ चल पड़े, हमने बाद में मुंबई में बहुत सारी जगहें देखीं लेकिन एलिफेंटा गुफाएं हमेशा हमारे मन मे घर कर गयी. ये गुफाएं हमें हमारे समृद्ध संस्कृति की याद दिलाती है. इन प्राचीन गुफाओं मे छुपा है हमारा गौरवशाली इतिहास, इसलिए इसे एक बार अवश्य देखे.