Thursday, December 11, 2014

स्वच्छ भारत अभियान - हमारा कर्तव्य

आज कल के अखबारो मेँ लगभग रोज मोदीजी ने शूरु किये स्वच्छ भारत अभियान कि खबरे आती है। बहुत अच्छी बात है। लेकिन मेरे मन मे एक सवाल आता हे कि ये अभियान शुरु क्यो करना पडा? क्या हम भारतीय गंदगी फैलाते है कि जो बाद मे हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी को साफ करनी पडे?
जरा सोचिये कि कौन है हम? हम वहि है कि जिनको हजारो साल पुराना इतिहास हेँ। हमारे ऋषि मुनियोँ ने प्राचीन काल मे हि सारे जगत को वेदोँ का ज्ञान दिया। हम भारतीय गौरवशाली परंपरा के साथ पैदा हूए है। लेकिन आज देखा जाऐ तो भारत मे जहा देखो वहाँ गंदगी का साम्राज्य है। हमारी सबसे पवित्र नदि गंगा आज सबसे अस्वच्छ नदियोँ मे अग्र स्तानपर है। जिस नदि को जीवन वाहिनी कहा जाता था आज उसे साफ करने कि नोबत आ गई है। पूराने जमाने कि साफ नदि गंदि हो गयी है। अब बताओ कौन है इसका जिम्मेदार?
आज दुनिया कि सबसे बडी आबादी भारत मेँ बसी है, इसमे से काफी सारे लोग शौचालय का इस्तेमाल नहि करते। नदि नालोँ का परिसर इन लोगोँ ने गंदगी फैलाने के लीये अपनाया है। इस कारण अनेक रोगोँ को फैलने का मौका मिलता है। पानी के जरिये खतरनाक जीवाणु और विषाणु हमारे आसपास आ जाते है। अगर स्वास्थ्यप्रद स्थितियां या बेहतर स्वस्थ माहौल की बात की जाए तो इसमें निजी साफ-सफाई से लेकर आसपास का साफ-सुथरा माहौल भी शामिल होता है। यूं भी पानी से जुड़ी बीमारियों या प्रदूषित पानी, खराब स्वास्थ्य और गरीबी का एक खास दायरा गंदे पानी और साफ-सफाई की खराब स्थितियों की वजह से सामने आता है। साफ-सफाई का ध्यान न रखने से पानी प्रदूषित होता है। प्रदूषित पानी यानी जिसमें गंदगी की वजह से सूक्ष्म जीव पैदा होने लगते हैं। दुनिया की 26 अरब से ज्यादा की आबादी में से 40 प्रतिशत बुनियादी सफाई सुविधाओं से महरूम है। दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा लोग प्रदूषित पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करते हैं। बीमारियों और खराब स्वास्थ्य का सीधा संबंध गंदे पानी, सफाई का अभाव और अस्वस्थकर स्थितियों से है। गंदे पानी और गंदगी से डायरिया, टाइफाइड, पाराटाइफाइड, बुखार, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस ई और एफ, फ्लूरोसिस, आर्सेनिक जनित बीमारी जैसी बीमारियां होती हैं। कुछ दूसरी बीमारियां हैं:- लेजिनोलिसिस, मेथमोग्लोबीनेमिया, सिन्टोसोमिएसिस, आंत का संक्रमण, डेंगू, मलेरिया, जापानी इंसेफलाइटिस। वेस्टनील वायरस संक्रमण, येलो फीवर और इम्पेटिगो यानी त्वचा से संबंधित बीमारी भी हो सकती है।
 हम लोग यहॉ वहॉ कचरा फेँकते है, जिस जगह काम करते है वह जगह भी हम साफ सुधरी नहि रखते कि जिस कारण हमारे मन मे काम करने कि इच्छा पैदा नहि होती। अगर कार्य स्थल स्वच्छ हो तो मन प्रसन्न रहता है और हम पुरी एकाग्रता से कोइभी कठिण काम आसानी से कर पातेँ है। शरिर निरोगी हो तो मन भी उत्साहीत रहता है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वच्छता का विशेष महत्व है। स्वच्छता अपनाने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और एक स्वस्थ राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। अत: हर व्यक्ति को जीवन में स्वच्छता अपनानी चाहिए और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। इसी मुद्दे पर indiblogger ने एक महत्वपूर्ण प्रतियोगीता का आयोजन किया है। इसको अधिक जानने के लिये यहाॅ क्लिक करे http://swachhindia.ndtv.com/
आज कल के जमाने मे प्रदुषण बहूत बड गया है। इसमे तीन प्रकार के प्रमुख विभाग है, पहला है जलिय उसके बाद हवा प्रदुषण और फिर है भुमी प्रदुषण। आज मानव ने औद्योगिक क्रांति करते हुए अपना जीवन स्तर काफि बेहतर बनाया है। बड़े पैमाने पर हुए औद्योगीकरण एंव नगरीकरण ने नगरों में बढ़ती जनसंख्या एवं निकलने वाले द्रव एंव ठोस अवशिष्ट पदार्थ मिट्टी को प्रदूषित कर रहें हैं। ठोस कचरे के कारण आज भूमि में प्रदूषण अधिक फैल रहा है। ठोस कचरा प्राय: घरों, मवेशी-गृहों, उद्योगों, कृषि एवं दूसरे स्थानों से भी आता है। इसके ढेर टीलों का रूप ले लेते हैं क्योंकि इस ठोस कचरे में राख, काँच, फल तथा सब्जियों के छिल्के, कागज, कपड़े, प्लास्टिक, रबड़, चमड़ा, इंर्ट, रेत, धातुएँ मवेशी गृह का कचरा, गोबर इत्यादि वस्तुएँ सम्मिलित हैं। हवा में छोड़े गये खतरनाक रसायन सल्फर, सीसा के यौगिक जब मृदा में पहुँचते हैं तो यह प्रदूषित हो जाती है। पोषकता बढ़ाने के लिए मानव भूमिमें रासायनिक उर्वरकों को एवं कीटनाशकों का जमकर इस्तेमाल कर रहा है।  इसके साथ ही पौधों को रोगों व कीटाणुओं तथा पशु पक्षियों से बचाने के लिए छिड़के जाने वाले मैथिलियान, गैमेक्सीन, डाइथेन एम ४५, डाइथेन जेड ७८ और २,४ डी जैसे हानिकारक तत्त्व प्राकृतिक उर्वरता को नष्ट कर मृदा की साधना में व्यतिक्रम उत्पन्न कर इसे दूषित कर रहे हैं जिससे इसमें उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थ विषाक्त होते जा रहे हैं और यही विषाक्त पदार्थ जब भोजन के माध्यम से मानव शरीर में पहुँचते हैं तो उसे नाना प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं। 

 आज हमारे पास सबकुछ है लेकिन प्रगति के साथ साथ मानव ने आसपास का पर्यावरण विषैला बनाया है। मेरे दोस्तो वो दिन दुर नहि जिस दिन हमारी अगली पीढियाँ साँस लेने के लिए हमेशा मास्क का इस्तेमाल करेँगी। आज जरुरत आन पडी है की सबको मिलके इस गंदगी को न की साफ करना होगा बल्कि इस गंदगी को जड से मिटाना होगा। डबल्युएचओ के रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 120 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं। क्योंकि उन्हें शौचालय उलब्ध नहीं है। इनमें से आधे से अधिक भारतीय हैं। इस देश के 66 करोड़ लोगों के पास शौचालय की सुविधा नहीं है। यह उस देश का हाल है। जिसे दुनिया एक उभरती आर्थिक महाशक्ति मानते हैं।

मेरे भाईयो और बहनो यह विषय दिखाई देता है उतना आसान नहि है, सिर्फ हात मेँ झाडू ले के आसपास कि गंदगी साफ करने से कुछ नहि हो ने वाला। क्या आपको पता है कि आप साँस से शरीर के अंदर लेने वाली हवा मे क्या है? मेरे दोस्तो आप को साफ दिखने वाली हवा मेँ सिर्फ ऑक्सिजन ही नहि बल्कि बहुत हि हानिकारक वायु भी है कि जैसे कि हायड्रोकार्बन, कार्बन मोनॉक्साईड, विषैले धातु कि जैसे लिड, कैडमियम और रेडिएटिव प्रदुषक भी पाए जाते है। हम जो पानी इस्तेमाल करते है कि जो नदियो से हमे मिलता है उसीमे हम शहरोँ के गटर का पानी छोडते है। अगर आप मेँ से कोई पुना शहर गया हो तो आपने देखा होगा की मुळा मूठा नदि की हालत क्या हो गयी है। दोस्तो खेद से कहना पडता है कि यह तो अति प्रदुषित गंदगी भरे पानी का नाला है।
आज यह सब बताने की जरुरत आन पडि है यह बहुत हि खेद की बात है। मुझे मालुम है की आप मे से लगभग 99% लोगो ने कभी ना कभी कुडा कचरा आसपास के नैसर्गिक स्त्रोतो मेँ फेका होगा। अगर हमे गंदगी जड से खतम करनी हो तो हर भारतीय को स्वच्छता को मन से अपनानी होगी। आसपास कोई नहि देख रहा है इसका मतलब यह नहि है की आप चाहेँ वहा कचरा फेँके बल्कि आप को यह आदत अपनानी है कि चाहे कुछ भी हो लेकिन यह धरती मेरी माँ है और यह मेरा कर्तव्य है की मेँ इसे गंदा ना करुँ। गंदगी नहि फैलाई तो साफसफाई करने कि जरुरत हि नहि क्योँ सहि हेँ ना?

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